Rural education-भारत में प्राथमिक शिक्षा

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Rural education-भारत में प्राथमिक शिक्षा

भारत में प्राथमिक शिक्षा


               प्राथमिक शिक्षा को 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए प्रारम्भिक शिक्षा भी कहा जाता है। इन वर्षों को बच्चों के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी वर्ष माना जाता है, जब उनके जीवन की आधारभूत बातें सुदृढ़ता प्राप्त करती है,  उनका व्यक्तिगत कौशल, उनकी समझ, भाषागत योग्यता, परिष्कृत रचनात्मकता आदि विकसित होते हैं।

                आज, प्राथमिक स्तर पर सभी मान्यता प्राप्त विध्यालयों में से 80% विध्यालय सरकार द्वारा संचालित या समर्थित हैं, जिसके कारण भारत शिक्षा प्रदान करने वाला सबसे बड़ा देश है। नरेंद्र मोदी सरकार ने शिक्षा से जुड़ी कई आशाजनक योजनाएं शुरू की है। 
Rural-Education-in-india
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                प्राथमिक शिक्षा अधिनियम के अंतर्गत सरकार ने नारा दिया हैं 'सब पढ़े  सब बढ़े' इसे अनिवार्य बाल शिक्षा के रूप में लिया गया हैं  बच्चे की प्राथमिक शिक्षा माँ की गोद से प्रारंभ होती हैं इसके पश्चात् वह प्राथमिक शिक्षा के लिए स्कूल में प्रवेश लेता हैं जब उसकी आयु 5 वर्ष की होती हैं।  स्कूल में भी उसको मात्र भाषा में ही सिखाया जाता हैं और उसमे प्रकृति एवं आस पास के परिवेष के बारे में जानकारी दी जाती हैं।

               दुनिया के सभी प्रगतिशील देशों में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य है। इसलिए, छह साल के बाद और कहीं सात साल से, प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा शुरू की जाती है, जो आमतौर पर पांच साल तक चलती है। बच्चे तब माध्यमिक शिक्षा में प्रवेश करते हैं। इसके पहले के शिक्षा स्तर को शिशु शिक्षा कहा जाता है।

             औपचारिक शिक्षा के क्षेत्र में पाठ्यचर्या या पाठ्यक्रम (करिकुलम) विद्यालय या विश्वविद्यालय में प्रदान किये जाने वाले पाठ्यक्रमों और उनकी सामग्री को कहते हैं। पाठ्यक्रम निर्देशात्मक होता है एवं अधिक सामान्य सिलेबस पर आधारित होता है जो केवल यह निर्दिष्ट करता है कि एक विशिष्ट ग्रेड या मानक प्राप्त करने के लिए किन विषयों को किस स्तर तक समझना आवश्यक है

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