Safalta Ki Kahani
सफलता की कहानी
शाला शा.प्रा शाला पठा कलां
डाइस कोड -23340619901
विकास खण्ड -सिलवानी जिला रायसेन मध्य प्रदेश
विश्वव्यापी कोरोना महामारी के दौरान E लर्निंग का सफल प्रयोग
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मार्गदर्शक - प्रस्तुतकर्ता
श्री शैलेन्द्र कुमार यादव (B.R.C.C. सिलवानी ) शाला प्रभारी
सुश्री -रत्ना शुक्ल (B.A.C सिलवानी ) रामदयाल रघुवंशी (प्रा,शिक्षक )
श्री - अशोक कुमार शर्मा (C.A.C. बीकलपुर) शाला शा.प्रा शाला पठा कलां
श्री सुनील कुमार पाण्डे (स प्राचर्य वीकलपुर ) विकास खण्ड -सिलवानी जिला रायसेन मध्य प्रदेश
सफलता की कहानी
विश्वव्यापी चीनी बीमारी के दौरान E लर्निंग के संदर्भ में
"जहाँ चाह हैं वहाँ राह हैं "
कहाबत की प्रत्यक्षता का प्रभाव शासन ने जब चरितार्थ किया जब विश्व कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी से जूझ रहा हैं हमारे देश में भी इसका प्रभाब फरबरी 2020 में दिखने लगा जिसके फलस्वरूप 19 मार्च से शासन के आदेशनुसार सभी कार्यालय एवं उद्द्योग बंद कर दिए गये तथा स्कूली बच्चो की परीक्षाएं रद्द करते हुए छुटिया घोषित करने का निर्णय लेना पड़ा। जब की बच्चो की परीक्षा का दौर चल रहा था।digi-LEP
परिणाम स्वरूप परीक्षा निरस्त करते हुए तुरंत प्रभाव से सभी प्रक्रियाएं बंद करनी पड़ी जिसका सीधा असर बच्चो की पढ़ाई पर पड़ा और शालाये बंद कर दी गई जिसमे हमारी शाला शा.प्रा शाला पठा कलां पर भी पड़ा हमारे बच्चे एवं गांव बालो ने भी शासन द्वारा लिए गए निर्णय lokdown का पालन करते हुए घर में रहना उचित समझा और स्वतंत्र वातावरण में बच्चो का खेलना कूदना और पढ़ाई पर तो मनो ग्रहण सा लग गया ऐसी परिस्थितियों में भी सभी बच्चो और गांव बालो ने हमारी शाला का पूर्ण सहयोग करते हुए digiLEP के माध्यम से घर पर रह कर पढ़ाई करते हुए lokdown का भरपूर सहयोग किया जिसके परिणाम स्वरूप मेरे गांव बाले मेरे बच्चे सभी पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं साफ सफाई के साथ शासन के नियमो का पालन कर रहे हैं।
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digiLEP में कक्षा बार नोड्ल अधिकारियो की न्युक्ति की गई हैं जो शासन द्वारा दी गई Link कक्षा 1 से 8 तक की लिंको को प्रतिदिन गुरूपो पर डाला जाता हैं। जिसे प्रतिदिन बच्चे देखते सुनते और करते हैं ,साथ ही फीडवेक भी शिक्षकों दे माध्यम से प्राप्त हो रहे हे जो की एक बड़ी उपलब्धि हैं।
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ऐसी परिस्तिथियों में जब की सीखने सीखने की प्रक्रिया दक्षता उन्ययन एवं परीक्षाएं चरम पर थी तभी कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी ने उसे ध्वस्त कर दिया जैसे सम्पूर्ण जगत का पहिया थम गया हो। ऐसी स्थिति में बच्चो की शिक्षा एक चुनौती बन गई थी। जिसको संचलित करने के लिए शासन ने digiLEP के माध्यम से बच्चो तक शिक्षा पहुंचाने का कठिन निर्णय लिया।
मध्यान भोजन-
साथ ही मध्यान भोजन की व्यवस्था भी रुक गई जिसको शासन के निर्देशानुसार छत्रो तक मध्यान्ह पहुंचाने के लिए शिक्षक ने घर घर जाकर मध्यान्ह भोजन खाद्यान प्रति छात्र 3.300 के मान से पहुंचाया एवं शासन के नियमो का पालय करते हुए शासन की सभी नवीन योजनाओ को सम्बल प्रदान किया।
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रेडियो कार्यक्रम -
रेडियो कार्यक्रम 1 अप्रेल से प्रतिदिन 11 बजे से 12 बजे तक बच्चो को रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षा से जोड़ा गया ,जिससे बच्चे छुट्टियों में भी घर पर शिक्षा से जुड़े रहे और शिक्षकों दवारा पालको से फोन पर सम्पर्क कर अपने बच्चे को प्रतिदिन पुस्तक का एक पेज पढ़ने एवं नकल करने के लिए प्रेरित करे। जिसका सकारात्मक परिणाम यह हुआ की बच्चे lokdwon के दौरान भी अपने घरो में ही अध्यापन से जुड़े हैं।
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Whatsapp Gurup-
इसमें उन सभी पलकों को जोड़ा गया जिनके बच्चे शाला में अध्ययनरत हैं एवं उनकी रोज की प्रतिक्रियाएं ग्रुप के माध्यम से वरिष्ठ कार्यालय तक पहुंचाई जा रही हैं जिनका निरंतर वरिष्ट अधिकारियो द्वारा अवलोकन किया जा रहा हैं गुरुप में उन सभी लोगो को भी जोड़ा गया हैं जो निरंतर शाला का सहयोग करते आ रहे हैं।
शाला में कुल दर्ज 38 छात्र हैं जो निरंतर अध्यापन कार्य कर रहे हैं। जिन बच्चो के पलकों पर एंडरॉयइड मोबाईल उपलब्ध नहीं हैं उनके लिए हमारे विशेष सहयोगी उनके अध्यापन में सहयोग कर रहे हैं।
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