हिंदी कहानी
महात्मा, साधु महाराज और साधु बाबा - तीनो में अंतर
Hindi Story
एक राजा अपने मंत्री और सैनिक के साथ शिकार पर निकला। कुछ देर बाद तीनों शिकार की तलाश में जंगल में भटक गए और एक दूसरे से अलग हो गए।
रास्ते में राजा को एक सिद्ध साधु महात्मा मिले । वे अपने ध्यान में लीन थे। राजा साधु के पास पहुंचा और प्रणाम किया। राजा ने साधु से पूछा, "हे महात्मा, मैं रास्ता भटक गया हूं। कृपया मुझे शहर का रास्ता दिखाएँ।” इस पर साधु ने राजा को बाईं ओर जाने को कहा।
साधु ने कहा, "हां, राजा आया था और अब वह बाईं ओर चला गया है।" साधु का उत्तर सुनकर मंत्री भी चले गए।
फिर कुछ देर बाद राजा का सिपाही साधु के पास पहुंचा और पूछने लगा, "साधु बाबा, क्या यहां कोई आया है?" साधु ने कहा, "पहले राजा आए, फिर मंत्री और दोनों चले गए और चले गए।" यह सुनते ही सिपाही भी बायीं ओर चला गया।
राजा, मंत्री और सिपाहियों ने एक-दूसरे को सुरक्षित स्थान पर पाया और तीनों ने आपस में अपने अनुभव साझा किए। तीनों को आश्चर्य हुआ कि साधु अंधा है, फिर भी उसे कैसे पता चला कि राजा पहले आया, फिर मंत्री और फिर सिपाही। तो तीनों साधु के पास गए और अपनी जिज्ञासा उसके सामने रखी।
साधु ने उत्तर दिया, "बहुत सीधी-सादी बात। राजा ने मुझे महात्मा, मंत्री ने साधु महाराज और सिपाही को साधु बाबा कहा। सभी ने उनके भाषण से अपना परिचय दिया
इसलिए कहा जाता है- आप जिस तरह से दूसरों से बात करते हैं, उससे आपका स्तर और आपकी योग्यता का पता चल जाता है।
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